internetPoem.com Login

यादें

Sanjay Gupta

हुंकार सी दिल में उठती है, जब यादें दस्तक देतीं हैं।
बेचैनी सी छा जाती है और तन्हा सा कर देतीं हैं।
मत याद दिलाओ गुज़रे पल, ऐसा न हो कि मैं बह जाऊं ,
जो बात अभी तक दिल में है वह बात  मैं उससे कह जाऊँ।
अब ख़ुश हूँ उसको खो कर मैं, वह ख़ुश रहे अपने अपनों में।
मेरा क्या, रोज़ ही मिलता हूँ उसको मैं अपने सपनों में।
अब फिर मुझको लड़ना होगा, अपने ही ज़हन के ख़्यालों से।
और जीतना होगा फिर मुझको , मन में उठ रहे बवालों से।
फिर रोकना होगा यादों को, फिर से वो घर न कर जाए।
जिस घर में अब ख़ुश हूँ मैं, कोई नज़र न उसको लग जाए।

(C) Sanjay Gupta
06/12/2023


Best Poems of Sanjay Gupta