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।।काव्य।।

Satish Sen Balaghati

।। काव्य।।
मुझमें ज्ञान नहीं काव्यपाठ का,
मै काव्य पाठ करूं कैसे,
शब्दों के अथाह सागर से,
काव्य आरंभ करूं कैसे।।

नभ - छितिज - और धरातल,
अमिट काव्य परिभाषा है,
देश अलग भाषा परे,
शोभा बख़ान करूं कैसे।।
बी
परचम लहराया काव्य जगत में,,,
उन्हें कोटि कोटि प्रणाम करूं,,
अल्प बुद्धि मै,मंद बुद्धि से
आदरणीय, गुणगान करूं कैसे।।

Continue,,,,

(C) Satish Sen Balaghati
10/22/2019


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