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अस्क

Satish Sen Balaghati

जमीं से फलक,
ये सफर जिसकी बदौलत।
एक पल न लगा,
भुला बैठे ओ जरूरत।

जिसके नाम से,
हुआ तेरा जहाँ रोशन,
आज हुआ,
ओ सबसे बड़ा दुश्मन।

चंद खुशियां जो,
तूने आज बज़ार से खरीदी है,
बेसक होंगी मुझसे महंगी,
खरीदी हुई दौलत।

मेरे अस्क,
न रुकेंगे अब कयामत तक,
दुनियां मे बिकता सब,
सिवा प्यार के।


(C) Satish Sen Balaghati
03/16/2024


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