दिन बुरे हो सकते है, जिंदगी नहीं,,,, आदत बुरी हो सकती है,, इंसानियत नहीं,,,, बेवजह इल्जाम लगाने से पहले,,,, मन के दर्पण / गहराई में झांक लेना,,,,, आंखे धोका खा सकती है,,,, मन नहीं,।। सतीश सेन बालाघाटी ।।कोई शक।।