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वो एक लड़की

Nir Baghwar

थी एक लड़की दीवानी सी
एक लड़के पे वो मरती थी
हंसते रोते दिल की अपनी
सारी बातें उससे कहती थी

पर किस्सा कुछ ऐसा था
वो लड़का किसी और का हिस्सा था
जान के भी ये बातें सारी
जाने क्यूं वो उसपे मरती थी
हस्ते रोते दिल की अपनी
सारी बातें उससे कहती थी

पर ना जाने क्यूं कुछ ऐसा हुआ
उस लड़के के दिल का कुछ टुकड़ा
उस लड़की के हिस्से हुआ

दिल के उस कुछ टुकड़े से उसने
दुनिया अपनी बनाई थी
ना कोई ख्वाहिश ना कोई ख्वाब
ना ही कोई हक उसपे जताई थी

नाउम्मीदी के उस इश्क़ से
खुशियों के माले उसने पिरोए थे
दिल के कुछ टुकड़े ही सही
पर उसे पूरे अपने बनाए थे

हो गया था शायद प्यार उसे भी
पर ना कुछ बोल वो पाता था
बस जी लेता था हर उस लम्हे को
जो हिस्से आ जाता था

दुनिया दारी की बंदिशों से
शायद थोड़ा डरता था
नहीं हो सकते हम दोनों एक
इस बात पे हमेशा वो अड़ जाता था

कहता था तू आग है सैयां
और तेरी विपरीत मैं पानी
बस इतनी सी थी, अपनी कहानी
बस इतनी सी थी, हमारी कहानी।

(C) Nir Baghwar
05/22/2020


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