Nir Baghwar
Who is Nir Baghwar
किसी शायर से प्रेरित हूं।...
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Nir Baghwar Poems
- Nusrl और तुम।
किस्से हैं कहानियों की
यादों के संग जज्बात वही
मैं हूं, तुम हो
गुमशुदा हम दोनों कहीं
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- जग जगत लागे धूल बराबर
जग जगत लागे धूल बराबर
ऐसो प्रीत लगायो है
सुबह शाम थारो नाम जपत है
पीर ना अब सह पायो है
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- सुनो...साथ दोगी ना?
सुनो...
जो हो बुरे हालात मेरे
ले जाना मुझे उन तारों के बीच
रख कर मेरे सर को अपने कांधे पे
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- मैं नहीं जानता इश्क़ क्या है
मैं नहीं जानता इश्क़ क्या है
मैं नहीं जानता इश्क़ क्या है
अगर तेरे कांधे पे सर रख तारों के बीच खुद को देखूं भी ना
तो मैं नहीं जानता इश्क़ क्या है
...
- ढलती शाम
ढलती शाम के उस सूरज तले
आज भी जब उन सीढ़ियों पे बैठता हूं मैं
तेरा वो साथ होना याद आता है
...
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Nir Baghwar Quotes
-
तेरा अधूरा साथ ही मेरे मुकम्मल इश्क़ की कहानी थी।
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