वक़्त का खेल है समझिएगा आज गिरिएगा कल संभलिएगा इक क़दम फूल इक क़दम काँटे होशियारी से पाँव रखिएगा काँच का फ़र्श मोम की छत है दिल में बाएहतियात रहिएगा उनसे वादा वफ़ा नहीं होगा न ग़लतफ़हमियों में रहिएगा