धुआँ धुआँ दिलों से उठा है सारे आलम में कोहरा हुआ है आतिशी हो रहे हैं अंधेरे आसमाँ पे समाँ बंध रहा है उखड़ी उखड़ी हैं साँसें सभी की मर्ज़ दुनिया को कुछ हो गया है किस बवंडर का है यह इशारा क्या क़यामत की यह इब्तदा है