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शाम के मंज़र

C K Rawat

शाम के मंज़र गुलाबी हो गए
यार मेरे सब शराबी हो गए

अल सुबह तक रात चमकीली रही
ग़म नशीले माहताबी हो गए

इम्तहाँ टकराए जब सच्चाई से
झूठे सब जुमले किताबी हो गए

खुल्ली राहों की हुईं पैमाइशें
मील के पत्थर हिसाबी हो गए

अपने-अपने दर्द के परचम लिये
सारे शायर इंक़लाबी हो गए

(C) C K Rawat
06/18/2019


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