internetPoem.com Login

भारी क़दमों से (फ़ादर्स डे पर)

C K Rawat

भारी क़दमों से देर रात को ज़ीना चढ़ना
आपके आने तलक जागता था घर अपना

वो दौड़ भाग कर जाड़ों की स्याह रातों में
बेहतरी के लिए कुनबे की मशक़्क़त करना

वो खिड़कियों से कभी आपका सदा देना
बेख़बर बच्चों का सुनना कभी नहीं सुनना

आपकी सीख बड़ी ज़िंदगी में काम आई
मुश्किलें आएंगी जाएंगी उनसे ना डरना

मेरे ज़हन के आइने में साफ़ अब भी है
आपने देखा था जो मेरी आँखों से सपना

रोक लेना थके अश्कों को अपनी पलकों पर
और फिर मुश्किलों से आपका कुछ कह सकना

(C) C K Rawat
06/16/2019


Best Poems of C K Rawat