यह चाँद है यह रात है पर तुम नहीं हो
यह लौ है यह चिराग़ है पर तुम नहीं हो
इस रात की ख़ामोशियों में बस तुम्हारी
आवाज़ ही आवाज़ है पर तुम नहीं हो
मेरे कांधे पर तुम्हारे गेसुओं की
छुअन का एहसास है पर तुम नहीं हो
आज भी मेरे सिरहाने पर तुम्हारी
एक अधखुली किताब है पर तुम नहीं हो
उस अधखुली किताब में रखा तुम्हारा
एक ख़त भी मेरे पास है पर तुम नहीं हो