internetPoem.com Login

हाशिए

C K Rawat

अब नहीं हमको ज़माने के सहारे चाहिए
अपनी परवाज़ों के दम पे चाँद तारे चाहिए

देख कर नज़रें जिन्हें छलनी हुई जाती रहीं
हमको अब तब्दील वो सारे नज़ारे चाहिए

सदियों से सूखी ज़मीं की प्यास न बुझ पाएगी
बूँदाबाँदी अब नहीं अब मूसलाधारे चाहिए

अब सहा जाता नहीं यूँ ही बहा जाता नहीं
ज़िंदगी भंवरों में गुज़री अब किनारे चाहिए

छीन कर जिनको यहाँ की सल्तनत चलती रही
हमको बाइज़्ज़त हमारे हक़ वो सारे चाहिए

अब लकीरों के परे हमसे रहा जाता नहीं
हाशिए मिटवाएँ हमको मुख्यधारे चाहिए

(C) C K Rawat
07/23/2019


Best Poems of C K Rawat