internetPoem.com Login

दूरियाँ

C K Rawat

वो जो फिरता था हम पे इतराए
आज मिलने से भी है कतराए

रास्ता एक था तो आसाँ था
एक तिराहा मिला कि चकराए

क्या जगह है पता नहीं चलता
कोई परचम-सा लाके फहराए

यूँ अंधेरे बसे थे आँखों में
ख़्वाब रोशन हुए तो घबराए

दिल की परवाज़ का इरादा है
कि सितारों से जा के टकराए

प्यार नज़दीकियों से प्यार रहे
दूरियाँ हों तो और गहराए

(C) C K Rawat
07/14/2019


Best Poems of C K Rawat