हंस लो यार।।
जिंदगी है ज़ालिम
कुछ पल को हंस लो यार।।
किताब पड़ी है, खाली हैं पन्ने
कुछ तो पन्नों में रंग भर लो यार।।
ना मालूम कब निकल जाएंगे पल ज़िंदगी के
किसी से गले तो मिल लो यार।।
जाना सबने है इक दिन
कांधों की जरूरत पड़ेगी तब तरसोगे यार।।
मुस्कराहट बदल देती है तकरीरें
रकीब बन ज़िदगी में रंग भर लो यार।।
क्या जाएगा मुस्कुराओगे यदि दो पल को
आंखों की नमी को ढंक लो यार।।
हंस लो यार।।
योगेश नैय्यर "योग"