चुनाव

शासन अउर प्रशासन के फिर याद गाँव के आइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

चालू भइल पलग्गी जबरी दूनो बेला गाँव में ।
पंडी जी भी मुर्गा बांटे घूम घूम के ताव में ।
लागे फिर से ओढ़ बिलरिया धूप छाँव में आइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

कहें सोमारू का हो चच्चा कइसन हव परिवार ।
ठर्रा देत के कहलन देखा करिहा जिन इनकार ।
बड़का बड़का स्टीमर अब छोट नाव में आइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

साँझ सबेरे जयरम्मी से काम चली न बात सुना ।
छत्तीस वोटर हमरे घरे मियन क उत्पात सुना ।
बेसी मुर्गा दारू खातिर अब्दुलवा भरुआइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

भयल चुनावी हल्ला सगरों मिल रहल हव गल्ला ।
बुलट लेके पहुँचल हउवे रामधनी क लल्ला ।
चर चर बिगहा वालन के भी तारू फिर चटकाइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

केकर केकर हाल बताईं सब के सब अझुराइल बा ।
मुँह फूलउलें मँगरू नाहीं उनकर सांख पुराइल बा ।
हम नेतन क दोष का दीं सब अपने में अफनाइल बा ।
सबसे बड़का मुँहनोचवा ह फिर चुनाव में आइल बा ।

Dhirendra Panchal
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 10/29/2020 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.