बस संवरती रहे

वो गरजती रहे ,
वो बरसती रहे ।
मेरी जान है वो याद मुझे करती रहे ।
ऐ खुदा तुझसे इतनी सिफ़ारिश मेरी ,
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।

हो ना हैरान वो ,
उसको एहसास दे ।
मैं भी खुश हूं यहां, बस तेरे वास्ते ।
जब भी मौका मिले ,अपनेपन से उसे ,
मेरी खातिर दुआएं भी करती रहे ।
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।

रौशनी दे गई ,
मोम सी गल गई ।
मुझको दरिया बना बर्फ में ढल गई ।
उसको जीना पड़े ना बंदिशों में कभी ,
कैद हो ना कभी वो महकती रहे ।
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।

Dhirendra Panchal
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/08/2021 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.