internetPoem.com Login

सुनहरे दिन

Rafiq Pasha

गुज़रा हुवा बचपन का वक़्त धुंदला सा याद हैं
बेफ़िक्री के लम्हे आज भी दिलो में आबाद हैं
चन्द चेहरे और चन्द दोस्तो के नाम याद हैं
उम्र के इस मोकाम पे भी, बचपन आबाद हैं
सब से कभी न कभी मिलने कि मुराद हैं
क्लासरूम के नोकज़ोक खयालो में साद हैं
बीते दीन लौट आए , यही फर्याद हैं

(C) Rafiq Pasha
06/12/2020


Best Poems of Rafiq Pasha