गुज़रा हुवा बचपन का वक़्त धुंदला सा याद हैं
बेफ़िक्री के लम्हे आज भी दिलो में आबाद हैं
चन्द चेहरे और चन्द दोस्तो के नाम याद हैं
उम्र के इस मोकाम पे भी, बचपन आबाद हैं
सब से कभी न कभी मिलने कि मुराद हैं
क्लासरूम के नोकज़ोक खयालो में साद हैं
बीते दीन लौट आए , यही फर्याद हैं