तुम्हारे साथ रहकर

तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ,
बस साथ तुम्हारे रहकर खुश रहना चाहता हूँ ।
हैं नदी तुम्हारी प्यारी प्यारी सी ये दो आँखें
मैं इन नदियों खुशी खुशी बहना चाहता हूँ ।।


जब से मिला हूँ तुमसे
बातें बहुत हैं दिल में
बातें वो सब इश्क़ की हैं सनम ।
कितनी मुहब्बत है
कितनी इबादत है
बरसातें अब इश्क़ की हैं सनम ।

जितनी भी बातें हैं दिल में मेरे यारा
मैं तुमसे मिलकर वो सब कहना चाहता हूँ ।।
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है मेरी जान ,
बस साथ तुम्हारे रहकर खुश रहना चाहता हूँ ।

Surya Prakash Sharma
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 07/30/2023 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.