Nusrl और तुम।

किस्से हैं कहानियों की
यादों के संग जज्बात वही
मैं हूं, तुम हो
गुमशुदा हम दोनों कहीं

वो रस्ते नाप उन सीढ़ियों पे बैठना
संग तेरे चाय की तप्री को चलना
भूक लगे तो अर्णा की थाली
चाहे फिर जेबें हो खाली

नॉटी चौक पे हमारा यूं खिलखिलाना
और तुम्हारा शायर बन जाना
छोटी सी उस भीड़ में सबकी
मेरी तालियों का गूंज बन जाना

वो दो बाइक पे हम चार का जाना
NVD का मटन दबाना
उस लड़के की दुनिया की बातें
जो थे किसी को रास ना आते

मेस के खानों से उग उग कर
था अपना कैंटीन में बसेरा
एक मैगी में दो कांटो के चम्मच
था ये काम हर सांझ सवेरा

रात के सन्नतों में बजती अब ये शोर है
बसा ये दिल उस NUSRL की ओर है
किस्से हैं कहानियों की
यादों के संग जज्बात वही
मैं हूं, तुम हो
गुमशुदा हम दोनों कहीं।

Nir Baghwar
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 10/16/2020 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.