शेर ऐ सहाद्री

गाथाएं कई वीरों की, कुछ अंजामो से अंजनी है ,
आज सुनाने आया हूं, जो उन वीरों की जुबानी है ,

अश्रु बहेगे उन रगो से , रक्त वो उबाल जायेगा
सुन लोगो उसकी गाथा तो कदाचित संग्राम छिड़ जायेगा

रुक जायेगी नब्ज तुम्हारी , जब तुम उसको जानोगे
वचन है मेरा सब मिथ्या टूट जायेगा

कांप उठेगा नभ , माय भवानी का स्वर गूंज जायेगा ।।

माय जीजा का वो लाला था ,जैसे मां यशोदा का नंदलाला था ..,
शत्रु का मन जिससे भयभीत हो उठे , वो ऐसा हिम्मतवाला था

मुगलों के लहू से जिसने उस रणभूमि को सींचा था
वंश मिटा कर रख डाला उनका ,जब - जब दिखाया इस भगवे को उन्होंने नीचा था ।।

सांभा और तान्हा के संग जिसने गढ़ों पर अपना परचाम लहराया था
स्थापित करके स्वपन हिंदू राष्ट्र का , मां जीजा का मान बढ़ाया था

साक्ष्य है वो धरा जिसने देखी औरंग की मनमानी है
आज सुनाने आया हूं जो उन वीरों की महानी है

डूब रही थी धरती जब अंधकार के सायो में
लेकर नाम उस खुदा का , छुरा घोप रहे थे गायों में ,

जिनको मां का स्थान दिया स्वयं घनश्याम ने
जिनके लिए युद्ध लड़ा वीर परशुराम ने
आज पुत्र क्यूं है उनके मौन ?
क्या लगा लिया अधर्मीयों का , नाम अपने नाम में ।।

सृष्टि को त्राहि में , जब देख ना सके
पुकार सुन के मां की , अश्रु रोक ना सके

सहाद्री श्रृंखला में शंभू ने अवतार ले लिया
जन्म लेके इस भूमि पे , जीवन साकार किया

कृपाण कटारी थी जिसकी बालपन सहेलियां
शिव के नाम पर जिसे शिवाजी नाम ही दिया ।।

Himanshu Dhurvey
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 01/13/2023

Poet's note: छत्रपति शिवाजी महाराज का सपना हिंदू साम्राज्य का जिसको लेकर आज हमारी कोशिश जारी है आज भी जब हम इतिहास पढ़ते तो इन वीरों का नाम उन में नहीं होकर अन्य का बखान मिलता हैं।
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