प्यार के किस्से

मिले थे कल जो तुमसे हम , उसी बाजार के किस्से ।
लिखूंगा आज कागज पर , हमारे प्यार के किस्से ।

पलटकर देखता था मैं ,
इरादे नेक थे अपने ।
थोड़ी शैतानियां भी थी ,
थोड़े एहसास थे अपने ।
तलाशा अंजुमन में भी , तेरे दीदार के किस्से ।
लिखूंगा आज कागज पर , हमारे प्यार के किस्से ।

हसरतें मिटती कहाँ थीं ,
मामला तब दिल का था ।
बोतलें टिकती कहाँ थीं ,
कश्मकश महफ़िल में था ।
कह रहा था नाव से मझधार के किस्से ।
लिखूंगा आज कागज पर , हमारे प्यार के किस्से ।

तड़पना लाजमी था पर ,
मुझे मालूम था इतना ।
सफर कांटों का भी होगा ,
गुलाबों का जतन जितना ।
तबियत से लिखूंगा मैं तेरे रुख़सार के किस्से ।
लिखूंगा आज कागज पर , हमारे प्यार के किस्से ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

Dhirendra Panchal
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 02/15/2021 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.