बचकानी बातें

तेरी ये बचकानी बातें , तेरी वो बचकानी बातें ।।
हर रोज जगाया करती मुझको वो शैतानी बातें ।
तेरी ये बचकानी बातें .........

हंसना और शर्माना तेरा करती दिल पे घातें ।
पीछे मुड़ फिर आगे बढ़ती हो जाती बरसातें ।
जुल्फ हटे गालों से खुले हजारों दिल मे खाते ।
तेरी ये बचकानी बातें .........

अधरों की लाली से झलके , चाहत की बारातें ।
माथे की सिकुड़न तेरी सब कह जाती जज़्बातें ।
तेरे ही यादों से अब तक जिंदा अपनी रातें ।
तेरी ये बचकानी बातें .........

फूलों को ही सहनी पड़ती काटों की आघातें ।
पंखुड़ियों से चलती जिनके प्यार वफ़ा के नाते ।
मिट्टी अपनी खुद करती है उस कंकड़ से बातें ।
तेरी ये बचकानी बातें .........

संगम वाली चाय प्रिये हम जाम समझ पी जाते ।
हँस करके तू जान पुकारे जीते जी मर जाते ।
गर तेरा जो साथ मिले हम खुद संगम हो जाते ।
तेरी ये बचकानी बातें .........

✍ धीरेन्द्र पांचाल

Dhirendra Panchal
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 07/03/2020 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.