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वह पल

Sumit Raghuwanshi



सालो का इंतज़ार
एक पल बनके खड़ा था
चाह तो थी कुछ और
लेकिन समय विपरीत ही चल पड़ा था ।।

पल की नजदीकी
क्षणिक और थी
समय का चक्र भी मानो
स्थल सा पड़ा था ।।

आते ही उसके
मैं समझ से बाहर खड़ा था
मानो किसी बंजर जमीन को
पानी का स्पर्श मिला था ।।

चाहता तो था उसे रोकना
पर इस भागदौड़ भरी जिंदगी में
खुद को साबित करना
अभी बाकी बचा था ।।

(C) Sumit Raghuwanshi
11/11/2019


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