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ऐसा मेरा मिजाज़ नही

DrHirdesh Chaudhary

झुण्ड में शामिल हो जाऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही।
झूठ बोलकर सबका साथ निभाऊं ऐसा मेरा मिजाज नही,

तारीफ पे तारीफ हर रोज सुनने को मिलती है,पर
सबकी बातों में आ जाऊं ऐसा मेरा मिजाज नही।

किसान जहां फांसी के फंदों पे झूले हो उस धरती पे,
मैं खुशहाली के नगमें गाऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही

शह और मात की इस रिवायत में
मैं कानों की कच्ची हो जाऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही

विश्व गुरु कहलाने वाले अपने हिंदुस्तान को,
मैं मीडिया की सच्चाई बताऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही

संतों की धरा पर बलात्कारी कमरों में बैठे है,
ऐसे में हर बात मां को समझाऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही।

खींचातानी और उठापटक के इस दौर में,
मैं खुद गिर जाऊं ऐसा मेरा मिजाज़ नही।

डॉ हृदेश चौधरी

(C) Drhirdesh Chaudhary
07/15/2019


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