हम राजपूत हैं और अब से....

राजपूत हैं हम और अब से राजपूत का सम्मान करेंगे,
नहीं कभी इनका हम अब से कुछ भी नुकसान करेंगे,
चाहे हो कोई भी राजपूत नहीं हम इनका अपमान करेंगे,
होंगी गरीब बिटिया राजपूतों में तो मिलकर कन्यादान करेंगे।।
लड़े गर जो चुनाव राजपूत तो सौ प्रतिशत मतदान करेंगे,
हो गर जो बीमार राजपूत मिलकर हम रक्तदान करेंगे,
बाहर से भले ही कड़वे लगते हैं पर ,
अंदर से सात्विक सा दिल है लेकिन ।।
थोड़ा मतभेद होगया है हममें ,
तभी तो लगा है हममें हमारा तुम्हारा।
भूले नहीं है कुछ भी..फिर भी भूले हुए हैं सब कुछ ,
आजायें गर हम अपने पर तो फिर से हम सब राज करेंगे।।
अच्छा तो हम चलते हैं अब से--
छोटे भाई को प्यार बड़े को प्रणाम करेंगे,
मिले अब से दोस्त यारों से तो वादा करिये,,
जय माँ भवानी या फिर जय श्री राम कहेंगे
या फिर जय श्री राम कहेंगे।।।

Satwik Bhardwaj
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 09/14/2022 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.