मेरा फरिश्ता मेरी मां (my Angel My Mother)

इस दुनिया में कदम रखने से पहले,
बना लिया था मैंने जिस से अपना रिश्ता।
लोग तो सिर्फ जिसे मां से जानते है,
मेरे लिए तो वह है एक फरिश्ता।

अपने बच्चों की सेवा करते करते,
जिसका शरीर कभी नहीं है थकता।
आज भले ही बच्चा करोड़ों कमा ले,
मगर मां की ममता का कर्ज कभी चुका नहीं सकता।

भरा रहे पेट बच्चों का,
इसीलिए कहीं बार खुद भूखी ही सो जाती है।
मां से कीमती उपहार कुछ नहीं है इस दुनिया में,
इसका हाथ हमेशा थाम कर रखना,
यह बिन बताए एकदम से खो जाती है।

Rishabh Chawla
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 06/22/2020 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.