Me Pagal Saa

मिले होंगे कई रास्ते ज़िंदगी में तुम्हें
मंजिल तक जो पहुंचाये वो रास्ता हूं मैं

बिताया होगा तुमने ज़माना किसी के साथ
काट ना सकोगे वो अंधेरी रात हूं मैं

मतलब छोड़ , बिन मतलब साथ निभाऊं
ऐसा पागल सा , इंसान हूं मैं

की होंगी बहुत सी बातें तुमने , बहुत से लोगो से
जो कर ना सकोगे वो , एक बात हूं मैं

तेरा साथ छोड़ा होगा बहुत से लोगो ने
जो कभी साथ ना छोड़े , वो एक किताब हूं मैं

मतलब छोड़ , बिन मतलब साथ निभाऊं
ऐसा पागल सा , इंसान हूं मैं

बिताए होंगे तुमने हसीन लम्हे औरों के साथ
जो भूल ना सकोगे एक ऐसी याद हूं मैं

लोग तो बहुत होंगे तुम्हारे पास जिंदगी में
जो भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास करा दे
वो एक साथ हूं मैं


मतलब छोड़ , बिन मतलब साथ निभाऊं
ऐसा पागल सा , इंसान हूं मैं

Prasant Kumar
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 02/21/2023

Poet's note: Me Pagal Saa Poetry by Prasant Kumar
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