अमीरों ने अच्छा नहीं किया

अमीरों ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया,
हमने भी अब बदला लेने का है ठान लिया,
अभी हम गांव से वापस नहीं आएंगे,
वहीं रूखी सूखी खाकर बस जाएंगे ।

अभी देखते अमीर कैसे फैक्ट्री चलाएंगे ?
कैसे अपने माल का भोजा उठाएंगे ?
कैसे अपने दफ्तर को साफ रख पाएंगे

जिस महलों में अमीर रहते हैं वह हमने बनाई है
जिस सड़कों में वह चलते हैं वह हमने बनाई है

उनके घर में खाना हम बनाते हैं,
उनके घर साफ सफाई हम करते हैं,
उनके बच्चों को हम संभालते हैं,
तभी वह दफ्तर जा कमा पाते हैं ।

अगर हम उनका काम ना करते ,
तो आज वह इतने अमीर ना होते ।

इस मुसीबत के वक्त उन्होंने हमारा साथ नहीं दिया,
अब हम भी उनकी सेवा नहीं करेंगे।

हम तो रूखी सूखी खा जी लेंगे,
एक दूसरे की मदद कर काट लेंगे,
क्या आप लोग हमारे बिना जी पाओगे?

सोच समझ के कार्य करो।
गरीब के बिना अमीर का अस्तित्व नहीं।
गरीब के बिना अमीर जी सकता नहीं।

Gopal Krishnan
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/29/2020 The copyright of the poems published here are belong to their poets. Internetpoem.com is a non-profit poetry portal. All information in here has been published only for educational and informational purposes.