Ashok Kumar Verma Poems
- 1. चले आते हैं परवाने
चले आते हैं परवाने शमा जब रौशन होती है
जल जाते हैं साथ वो भी मौहब्बत जो होती है
अंजाम जानने की चाह न दोस्तो मौहब्बत में होती है
कर देती है जुदा खुद से आलम में जब वो जवानी के होती है
... - 2. ईंट मेरे आशियाने की
गैरों की कहाँ थी - ज़ुर्रत मुझे गिराने की
पहले अपनों ने निकाली - ईंट मेरे आशियाने की
-: अशोक कुमार वर्मा :-
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